टाइटल पढ़कर चौंक गए ना की आखिरकार भारतीय जनता को किसने दिया धोका 1947 से अब तक, तो आपको बता दे की ये धोका छोटा मोटा नहीं बल्कि बहुत बढ़ा धोका है जिसकी शुरुवात जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गाँधी और फ़िरोज़ गाँधी ने की थी। कुछ नया बताएँगे बने रहिये The My Story Explorer के साथ। हमने इस आर्टिकल को लिखने के लिए बहुत खोज की है जिसमे पता चला की जिसे हम गाँधी फॅमिली बोलते है वो असल में गाँधी फॅमिली नहीं जो खुद को हिन्दू कहती है और हिन्दुओं को ही बदनाम करती है हिन्दुओं के खिलाफ बहुत से कानून बनाये और मुस्लिम समाज को बहुत साडी शक्तियों से सम्पन किया। कोई भी हिन्दू देवी देवताओं का मज़ाक उढ़ाये कोई क़ानूनी कारवाही नहीं हो सकती वही किसी के धर्म में लिखी गयी बात को बोल दिया गया तो या तो उसका सर धड़ से अलग कर दिया जाता है। आतंकवादियों को सपोर्ट किया जाता है भारत तेरे टुकड़े होंगे इन्शाहाल्लाह , अफजल तेरे कातिल जिन्दा है हम शर्मिंदा है। इंडिया आर्मी से सबूत मांगे जाते है नूपुर शर्मा के को पार्टी से निकल दिया जाता है जान से मारने की धमकी दी जाती है।
Who betrayed the Indian public : 1947 से अब तक
Mohan Das Karamchand Gandhi: तो बताते है आप और आपके पूर्वजों को कैसे धोका दिया गया। पहले हमे बताना होगा इस धोके की शुरआत कैसे हुई। शुरू करते है हमारे पहले किरदार से जिसका नाम है मोहनदास करमचंद गाँधी। गाँधी ने देश की आज़ादी के लिए बहुत योगदान दिया जिससे उनकी भारतीय जनता में लोकप्रियता बढ़ गयी। यही लोकप्रियता भारत की जनता के लिए आगे चल कर एक बढे धोके की शुरुवात होने वाली थी। मोहनदास करमचंद गांधी भारत में एक राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अहिंसक सविनय अवज्ञा की वकालत की और दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलनों पर एक बड़ा प्रभाव था। उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट करने और भारत की निचली जातियों की स्थिति में सुधार करने के लिए काम किया। 1948 में उनकी हत्या कर दी गई। इस आंदोलन ने गांधी उपनाम को प्रसिद्ध कर दिया। जिसका लाभ भविष्य में कई लोगों को मिलने वाला था, जिसमें आज गांधी परिवार प्रमुख है।
Jawaharlal Nehru: जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री थे, जो 1947 से 1964 में अपनी मृत्यु तक सेवा करते रहे। 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी से पहले और बाद में वे भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय व्यक्ति थे। नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक नेता थे, जो देश के प्रमुख। राजनीतिक दल, और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है और वे अपनी गुटनिरपेक्षता और समाजवाद की नीतियों के लिए जाने जाते थे। वह प्रसिद्ध पुस्तक “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” के लेखक भी हैं जो भारत के अतीत का एक ऐतिहासिक और राजनीतिक लेखा-जोखा है। नेहरू ने भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गुटनिरपेक्ष आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे। 1964 में कार्यालय में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें अभी भी भारत के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक के रूप में याद किया जाता है। पढ़ना कितना अच्छा लगता है, लेकिन वास्तव में उनमें से कुछ हमसे छुपाए गए थे, जिनका खुलासा हम बाद में करेंगे।
Indira Gandhi: इंदिरा गांधी 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से 1984 में उनकी हत्या तक भारत की प्रधान मंत्री थीं। वह जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं, जो भारत के पहले प्रधान मंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता थे। गांधी ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध और 1975 के आपातकाल सहित भारतीय इतिहास में एक उथल-पुथल भरे समय के दौरान प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वह अपने मजबूत नेतृत्व और समाजवादी नीतियों पर जोर देने के लिए जानी जाती थीं। गांधी भारत में प्रधान मंत्री का पद संभालने वाली एकमात्र महिला भी थीं। कार्यालय में उनका समय अधिनायकवाद, आर्थिक उथल-पुथल और धार्मिक संघर्ष के दौर से चिह्नित था, लेकिन उन्होंने ऐसी नीतियां भी लागू कीं, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में। गांधी की विरासत पर अभी भी बहस होती है, लेकिन वे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने हुए हैं। हालांकि उनका नाम इंदिरा गांधी नहीं होना चाहिए, लेकिन उनका नाम इंदिरा जहांगीर Ghandy होना चाहिए। क्योंकि उनके पति का नाम फिरोज जहांगीर गांधी था, जिन्होंने अपना नाम Firoz Jahangir Ghandy से बदलकर फिरोज गांधी रख लिया था। लेकिन आज के गांधी परिवार ने यह सब छुपा कर रखा।
Firoz Gandhi or Firoz Jahangir Ghandy: अब बात करते है हमारे अंतिम किरदार के बारे में। फिरोज गांधी (Firoz Jahangir Ghandy) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पत्रकार थे। वह भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के पति और राजीव गांधी और संजय गांधी के पिता थे, दोनों ने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में भी कार्य किया। फ़िरोज़ गांधी (Firoz Jahangir Ghandy) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और उन्होंने भारतीय संसद के सदस्य के रूप में कार्य किया। वह भारत सरकार के मुखर आलोचक थे और गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की वकालत करते थे। फ़िरोज़ गांधी भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे और उन्हें उनकी राजनीतिक गतिविधियों के लिए कई बार गिरफ्तार किया गया था। 1960 में 49 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। अपने अपेक्षाकृत छोटे राजनीतिक जीवन के बावजूद, फिरोज गांधी को उनके द्वारा उत्पीड़ितों के अधिकारों के लिए उनके काम और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
यूनिवर्सिटी में Firoz Jahangir Ghandy और Indira Nehru की मुलाकात हुई और दोनों में प्यार हो गया। जब जवाहरलाल नेहरू को इस बात का पता चला तो उन्होंने फिरोज को सलाह दी कि उनका उपनाम Ghandy , Mahatma Gandhi के उपनाम से मिलता जुलता है, इसलिए उन्हें अपना नाम गांधी बताना होगा, ताकि बाद में गांधी के नाम का फायदा उठाया जा सके, क्योंकि वह जानते थे कि भारत के लोग अधिक शिक्षित नहीं है। और नेहरू ने यह बात लोगों से छुपा कर रखी ताकि आगे चलकर उनकी बेटी को भारत की राजनीती में कोई परेशानी ना हो। तो ऐसे शुरुआत हुए भारत के लोगों को धोका देने का आगाज़। आज का गांधी परिवार चीख चीख कर बोलता है महात्मा गाँधी उनके पूर्वज थे। राहुल गाँधी खुद को दत्तात्रेय गोत्र के बोलते है जबकि वे एक पारसी है। किन्तु भारत की जनता में अभी भी मूर्खों की कमी नहीं है। खासकर जो खुद को सेक्युलर हिन्दू बोलते है और देखविरोधी ताकतों को समर्थन देते है। अगर अभी भी जनता नहीं जगी तो या तो वे इस्लाम के या फिर आतंकियों के हाथों में होंगे।
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