महात्मा गाँधी का सच : 1947 की हक़ीक़त

मोहनदास करमचंद गाँधी कौंन थे क्या था महात्मा गाँधी का सच । क्यों उन्होंने ब्रिटिश साम्राजय से दुश्मनी ली । ये सवाल आज तक किसी ने नहीं सोचे होंगे । गाँधी पेशे से बेरिस्टर थे । मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें पूरे विश्व में महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदर्श प्रेरणा स्रोत थे। उन्होंने अपने जीवन में सत्याग्रह, अहिंसा, और सद्ग्रंथित जीवन के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ दिलाया और विश्व को उनके विचारों का प्रेरणा स्रोत बनाया। क्या है हक़ीक़त हम आपको बताएंगे ।

महात्मा गाँधी का सच : 1947 की हक़ीक़त

महात्मा गाँधी का सच

शिक्षा और प्रोफेशन:

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर, राजकोट, और मुंबई में पूरी की, और फिर इंग्लैंड के लंदन शहर में कानून की पढ़ाई की। वह 1891 में इंग्लैंड से वापस आकर भारत में वकालत करने लगे।

दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह:

महात्मा गांधी का पहला असरदार कार्यक्षेत्र दक्षिण अफ्रीका था, जहां उन्होंने अपार्ठेड (रंग भेद) के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया। वहां उन्होंने अहिंसा और सिविल असहमति के माध्यम से जनमानस को एकजुट किया और अपार्ठेड के खिलाफ सफलता प्राप्त की।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम:

महात्मा गांधी 1915 में भारत लौटे और वहां स्वतंत्रता संग्राम के नेता बने। उन्होंने विभाजन, असहमति, और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए कई महत्वपूर्ण आंदोलन आयोजित किए।

खिलाफत आंदोलन और स्वतंत्रता:

महात्मा गांधी ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, जिसमें वह मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर खिलाफत सरकार के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने असहमति और अनिश्चय में भी अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दिलाने का प्रयास किया।

सत्याग्रह और आध्यात्मिकता:

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का सिद्धांत विकसित किया, जिसमें अहिंसा और सद्ग्रंथित जीवन के माध्यम से समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास किया। उन्होंने आध्यात्मिकता का महत्व बताया और व्यक्तिगत और सामाजिक तरीकों से आत्मा का सुधार किया।

महात्मा गांधी के पेशेवर जीवन में वकालत के साथ-साथ उनके स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने अपने आदर्शों और सिद्धांतों के माध्यम से पूरे विश्व को प्रेरित किया और आज भी वे एक महान आदर्श हैं जिनका उपयोग लोग समस्याओं का समाधान ढूंढने में कर रहे हैं। किन्तु इन सब के बावजूद हम अभी तक इनके कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं खोज पाए है । हो सकता है की गाँधी परिवार ने सत्ता के लोभ मे हमे गलत जानकारी दी हों । यदि गाँधी जी सच्चे होते तो वे देश के टुकड़े नहीं होने देते ना ही जवार लाल नेहरू को असवैधानिक तरीके से प्रधानमंत्री नहीं बनाते जबकि सरदार बल्लभ भाई पटेल सबकी पसंद थे । यदि देखा जाये तो आज भी गाँधी परिवार के सदस्य देश पर राज करना अपना हक़ समझते है चाहे वे इस योगय हो या ना हो ।

 

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