सिख धर्म : 11 Guru’s Protect The Humanity

सिख धर्म, जिसे सिखियत भी कहा जाता है, 15वीं सदी के अंतिम दशक में दक्षिण एशिया के पंजाब क्षेत्र में उत्पन्न हुआ एक प्रभावशाली और प्रभावी धर्म है। यह गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित किया गया था और उनके शिक्षाओं, और उनके पश्चात उनके अनुयायों द्वारा दी गई दस सिख गुरुओं की शिक्षाओं पर आधारित है।

सिख धर्म की विशेषता उसकी समानता, न्याय और निःस्वार्थ सेवा के सिद्धांतों पर आधारित है। सिखियत के मूल विश्वास इक ओंकार के आस्थान पर आधारित है, जो एक परमात्मा की अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित करता है। सिख विश्वास है कि परमात्मा एक है, रूपरहित है और सदाकालिक है, और इसे ध्यान और निःस्वार्थ भक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

सिखियत की एक महत्वपूर्ण सिद्धि है सभी मनुष्यों की समानता का विश्वास। सिख धर्म ने पारंपरिक हिन्दू जाति व्यवस्था को ठुकराया है और सभी व्यक्तियों को गर्व और सम्मान के साथ देखने का महत्वपूर्ण रोल निभाया है। सिख गुरुओं ने सिखों को बताया है कि ईश्वर की नज़र में सभी लोग समान हैं, और सामाजिक भेदभाव या पूर्वाग्रह करना सिखियत के शिक्षाओं के खिलाफ है।

सिखियत का एक और महत्वपूर्ण पहलू सेवा और समुदाय कल्याण की प्रथा है, जिसे “सेवा” कहा जाता है। सिखों को मानवता की सेवा करने, जैसे भूखे को भोजन, बेघरों को आश्रय देने और सामाजिक न्याय को संवारने जैसे कार्यों में सक्रिय रहने की प्रेरणा मिलती है। यह निःस्वार्थ सेवा का अभिप्रेत तत्व है और इसे हर सिख गुरुद्वारे (पूजा के स्थान) में मौजूद लंगर में देखा जा सकता है, जहां तबलेटों को मुफ्त में खाना प्रदान किया जाता है, भले ही उनकी जाति या सामाजिक स्थिति हो।

सिखियत में आध्यात्मिक विकास और साक्षात्कार के पीछे भी बड़ा महत्व है। सिखों को ईश्वर के नाम का ध्यान करने, ईमानदारी से काम करने और धार्मिक जीवन जीने का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। प्रार्थनाओं का पाठ, भजनों का गायन और गुरु ग्रंथ साहिब (सिखों का पवित्र ग्रंथ) का अध्ययन सिख धर्म के धार्मिक अभ्यास के महत्वपूर्ण तत्व हैं।

इसके अलावा, सिखियत एक मजबूत समुदाय और सामूहिक पहचान को भी महत्व देती है। सिखों को उनकी अलग-थलग दिखने वाली भौगोलिक उपस्थिति से पहचाना जाता है, जिसमें पुरषों के बालों को टपटे से नहीं काटा जाता है और मर्यादित वेशभूषा शामिल होती है। यह धार्मिक विश्वासों और सिख मूल्यों के प्रतीक के रूप में उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

सम्पूर्ण रूप से कहें तो, सिख धर्म में प्रेम, समानता और मानवीय सेवा के सन्देश से युक्त है। यह धार्मिक जीवन जीने, ईश्वर के नाम का ध्यान करने और समाज के कल्याण में सक्रिय योगदान देने की महत्वपूर्णता को जोर देती है। सिखियत ने अपने अनुयायों के जीवन के साथ-साथ, वृहद वैश्विक समुदाय पर भी गहरा प्रभाव डाला है, जो व्यक्तियों को करुणा, समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित करता है।

सिख धर्म : 11 Guru’s Protect The Humanity

सिख धर्म

 

  1. गुरु नानक देव (1469-1539): गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक हैं। उनका जन्म 1469 में पंजाब, भारत में हुआ। उन्होंने “इक ओंकार” का संदेश प्रचारित किया, जिसमें एक ईश्वर के विश्वास और ध्यान, ईमानदार जीवन और मानवता की एकता को महत्व दिया। उन्होंने चार महत्वपूर्ण यात्राएँ (उदासियाँ) की, अनेक यात्राओं के माध्यम से अपने संदेश का प्रचार किया और विभिन्न धर्मों के विद्वानों के साथ विचार-विमर्श किया। गुरु नानक ने “किरत करो” की सिद्धांत विशेष महत्व दिया, जिसका अर्थ होता है सच्ची मेहनत करना, और जाति आधारित भेदभाव को खारिज किया। उनके शिक्षाओं को सिखों की पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में संग्रहीत किया गया है।
  2. गुरु अंगद देव (1504-1552): गुरु अंगद देव को गुरु नानक के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया। उनका जन्म 1504 में हुआ था। उन्होंने गुरु नानक के कार्य को जारी रखा और सिख समुदाय को विस्तारित किया। गुरु अंगद देव ने गुरमुखी लिपि का प्रवर्तन किया, जो बाद में गुरु ग्रंथ साहिब को लिखने के लिए माध्यम बन गई। उन्होंने “गुरू का लंगर” नामक शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की और शारीरिक स्वस्थता के महत्व को बढ़ावा दिया।
  3. गुरु अमर दास (1479-1574): गुरु अमर दास गुरु अंगद देव के बाद तीसरे सिख गुरु बने। उनका जन्म 1479 में पंजाब में हुआ। उन्होंने सिख समुदाय को संगठित करने और प्रशासनिक सुधारों को प्रवेश करवाया। गुरु अमर दास ने सिख समुदाय को 22 मंजीयों में बांट दिया, प्रत्येक मंजी के लिए प्रवचनकारों की नियुक्ति की। उन्होंने आनंद काराज, जिसे सिख विवाह समारोह कहा जाता है, की स्थापना की और महिला सदोश को महत्व दिया।
  4. गुरु राम दास (1534-1581): गुरु राम दास, चौथे सिख गुरु, 1534 में पंजाब में जन्मे। उन्होंने अमृतसर शहर की स्थापना की और हरमंदिर साहिब, जिसे सोने का मंदिर भी कहा जाता है, का निर्माण शुरू किया। गुरु राम दास ने अनुशासित जीवन जीने और निःस्वार्थ सेवा करने का महत्व बताया। उन्होंने गुरू ग्रंथ साहिब में कई हिम्नों की रचना की।
  5. गुरु अर्जुन देव (1563-1606): गुरु अर्जुन देव, पांचवे सिख गुरु, 1563 में पंजाब में जन्मे। उन्होंने सिख ग्रंथों का संकलन करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और हरमंदिर साहिब का निर्माण पूरा किया। गुरु अर्जुन देव ने आदि ग्रंथ, जो गुरू ग्रंथ साहिब के पूर्वरूप है, का संकलन किया। उन्हें मुग़ल सम्राट जहांगीर द्वारा धर्मिक पाठ में परिवर्तन करने से मना करने और उनके प्रभाव के कारण उनकी शहादत का सामना करना पड़ा।
  6. गुरु हरगोबिंद (1595-1644): गुरु हरगोबिंद, छठे सिख गुरु, 1595 में पंजाब में जन्मे। उन्होंने सिख समुदाय को धार्मिक उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए सेना के माध्यम से संघर्ष करना शुरू किया। गुरु हरगोबिंद ने हरमंदिर साहिब के पास मार्ग पर अकाल तख्त का निर्माण किया, जो सिखों के लिए अधिकार की संकेतक बन गया।
  7. गुरु हर राय (1630-1661): गुरु हर राय, सातवे सिख गुरु, 1630 में पंजाब में जन्मे। उन्होंने सिख समुदाय को शक्तिशाली बनाने के लिए संघर्ष किया, सेना की स्थापना की और जड़ी-बूटियों के उपयोग की महत्व बताया। अपनी छोटी सी गुरूशिप के बावजूद, उन्होंने सिख समुदाय को मजबूत किया।
  8. गुरु हर क्रिश्न (1656-1664): गुरु हर क्रिश्न, आठवें सिख गुरु, 1656 में पंजाब में जन्मे। उन्होंने पाँच साल की उम्र में ही गुरू का पदभार संभाला, जब उनके पिता, गुरु हर राय, की अचानक मृत्यु हो गई। अपनी कम उम्र में, गुरु हर क्रिश्न ने असाधारण बुद्धिमत्ता और दया प्रदर्शित की। दिल्ली में स्मॉलपॉक्स के महामारी के समय, उन्होंने प्रभावितों की देखभाल और मदद की, जिसके अंत में उन्हें भी यह बीमारी हो गई।
  9. गुरु तेग बहादुर (1621-1675): गुरु तेग बहादुर, नौवें सिख गुरु, 1621 में पंजाब में जन्मे। उन्हें “धर्म के संरक्षक” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम समुदायों की स्वतंत्रता और धर्मिक अधिकारों की रक्षा की। गुरु तेग बहादुर ने अपनी शहादत के लिए यात्रा की और मोग़ल सम्राट औरंगज़ेब के खिलाफ लड़ाई की, जहां उन्हें बालिगंज शहीद किया गया।
  10. गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708): गुरु गोबिंद सिंह, दसवें सिख गुरु, 1666 में पंजाब में जन्मे। उन्होंने सिख समुदाय को जोश, साहस और आत्मनिर्भरता से भर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और पंथी सिखों की वीरता और निष्ठा का प्रमाण दिया। उन्होंने पंज प्यारे बनाए और खालसा सिपाहियों को तैयार किया, जो उनके साथ मेवाड़ के चमकोर घाट के युद्ध में लड़े। गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी जीवनी में सिखों को शौर्य, न्याय और स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं।
  11. गुरु ग्रंथ साहिब: गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म की पवित्र पुस्तक है। यह सिख समुदाय की मान्यताओं, बानी, कविताएँ, और गुरुओं के दर्शनों का संकलन है। गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों की आध्यात्मिक गुरु माना जाता है और इसे सिखों के धार्मिक और आदर्श जीवन का मार्गदर्शन माना जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब के बारे में प्रशंसापत्र कहा जाता है कि “एह गुरु, एह ग्रंथ” अर्थात् इसमें सबकुछ है, यह सबका गुरु है।

ये गुरुओं की क्रमशः छह से ग्यारहवें गुरु तक की संक्षेप में कहानी है। ये सिख गुरु सिख समुदाय के विकास और धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और सिख धर्म को एक विशेष पहचान दी। उन्होंने सिखों को धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मामलों में संगठित और संघर्षरत बनाया। इन गुरुओं के योगदान ने सिख समुदाय को गर्व और सम्मान का भाव दिलाया और सिख धर्म को विश्वभर में मान्यता प्राप्त कराया।

 

To read more in Hindi Click Here

To read more in English Click Here

2 thoughts on “सिख धर्म : 11 Guru’s Protect The Humanity”

Leave a Comment