गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में हाल ही में एक रैली में अमित शाह ने खोली पोल। जिसमें अमित शाह का कांग्रेस-NC पर ज़ोरदार हमला हुआ। अपने भाषण में शाह ने कांग्रेस और NC की “परिवारवादी राजनीति” की आलोचना करते हुए कहा कि ये पार्टियां अनुच्छेद 370 को बहाल करके राज्य को पीछे धकेलने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर को फिर से अस्थिरता की ओर धकेलने की कोशिश कर रहा है।
अमित शाह ने खोली पोल: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाली पर फिर छिड़ी सियासी जंग
अनुच्छेद 370 बहाली: परिवार की राजनीति का मुद्दा?
अमित शाह ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस पर निशाना साधते हुए कहा, “गांधी और अब्दुल्ला परिवार केवल अपनी राजनीति और सत्ता बचाने के लिए जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की कोशिश कर रहे हैं।” शाह का कहना था कि 2019 में इस अनुच्छेद को हटाने के बाद राज्य में विकास और शांति की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया, जिसे ये परिवार अब खत्म करना चाहते हैं।
शाह ने अनुच्छेद 370 की बहाली की कोशिशों को देशद्रोही कदम करार दिया और कहा कि कांग्रेस और NC का मकसद सिर्फ अपनी पारिवारिक राजनीति को बचाना है, जबकि बीजेपी ने इस अनुच्छेद को हटाकर जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाने का काम किया।
सियासी तनातनी बढ़ी
शाह ने अपने भाषण में कांग्रेस-NC पर तंज कसते हुए कहा कि “इन पार्टियों को सिर्फ अपने परिवार की सत्ता की चिंता है, देश की नहीं।” उन्होंने बीजेपी को जम्मू-कश्मीर के विकास और स्थिरता का असली हितैषी बताया और जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली नहीं होने दी जाएगी।
दूसरी तरफ, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के नेताओं ने अमित शाह के इन बयानों की कड़ी आलोचना की है। ओमर अब्दुल्ला ने शाह के भाषण को “डर फैलाने की राजनीति” बताया और कहा कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर के असली मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है, जैसे बेरोजगारी और आर्थिक संकट।
जैसे-जैसे 2024 के संसदीय चुनाव नजदीक आ रहे हैं, अनुच्छेद 370 का मुद्दा फिर से गर्मा गया है। बीजेपी इसे एक बड़ी राष्ट्रवादी उपलब्धि मान रही है, जबकि कांग्रेस और NC इसे जम्मू-कश्मीर की पहचान और स्वायत्तता पर हमला बता रहे हैं।
निष्कर्ष
अमित शाह के इस भाषण ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। उनके इस बयान से यह साफ है कि बीजेपी अनुच्छेद 370 पर कोई नरमी दिखाने के मूड में नहीं है। वहीं कांग्रेस और NC ने भी इस मुद्दे को लेकर अपनी रणनीति को और तेज कर दिया है।
आने वाले चुनावों में यह देखा जाएगा कि जम्मू-कश्मीर के लोग किसे समर्थन देते हैं—बीजेपी की राष्ट्रवादी नीतियों को या कांग्रेस और NC के क्षेत्रीय स्वायत्तता के एजेंडे को।
हिंदी में खबरे पढ़ने के लिए हमारी हिंदी वेबसाइट पर रजिस्टर करें। क्लिक करें
इंग्लिश के लिए हमारी इंग्लिश वेबसाइट पर रजिस्टर करें। क्लिक करें